जैक एग्यूरो की एक और कविता...
शान्ति के लिए प्रार्थना : जैक एग्यूरो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
प्रभु,
शान्ति के लिए कोई फ़रिश्ता क्यों नहीं है?
युद्ध का फ़रिश्ता
खाता है पैसा और खून,
बहुत सफल है वह
इतने सारे पासपोर्ट हैं उसके पास,
इतने सारे समर्थक,
और जमीन में इतने सारे छेद.
वह कबूतर कहाँ है तुम्हारा?
भगवन,
सिर्फ गिद्ध ही दिख रहे हैं मुझे.
:: :: ::
सच कहा --" सिर्फ गिद्ध ही दिख रहे हैं मुझे "!
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता ,अच्छा अनुवाद ! आभार और बधाई !
amazing poem
ReplyDeleteयुद्ध का फरिस्ता
ReplyDeleteखाता है पैसा और खून,
बहुत सफल है वह....
वाह !!!