Wednesday, May 9, 2012
ऊलाव हाउगे : तलवार
ऊलाव ह. हाउगे की एक और कविता...
तलवार : ऊलाव एच. हाउगे
(अनुवाद : मनोज पटेल)
काटती है
तलवार
निकाले जाने पर,
कुछ और नहीं
-- तो हवा को ही.
:: :: ::
2 comments:
Unknown
May 9, 2012 at 8:21 PM
क्या बात है
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अरुण अवध
May 9, 2012 at 9:37 PM
बहुत खूब ! तलवार का धर्म ही यही है --काटना !
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क्या बात है
ReplyDeleteबहुत खूब ! तलवार का धर्म ही यही है --काटना !
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