पोलिश कवियत्री अन्ना कमिएन्स्का (१२ अप्रैल १९२० - १० मई १९८६) की नोटबुक से...
अन्ना कमिएन्स्का की नोटबुक से
(अनुवाद : मनोज पटेल)
कभी नहीं. कभी नहीं. कभी नहीं. इन शब्दों से मैं पूरी एक कापी भर सकती हूँ.
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मैं नींद में राहत पाती हूँ. मरने के बाद मुझे सबसे ज्यादा नींद की ही कमी खलेगी.
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नींद के इंतज़ार में करवटें बदलते हुए मुझे एक विचार सूझा जो बहुत महत्वपूर्ण लग रहा था. अँधेरे में मैं उठी और उसे लिख लिया. सुबह मैंने पढ़ा: "मैं तन्हाई को ढूंढ़ने निकली थी. मगर उसने मुझे ढूंढ़ लिया."
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जानवर एकाकीपन को कैसे बर्दाश्त करते हैं? जब हम पोजनान जा रहे थे तो विस्वावा शिम्बोर्स्का ने मुझे अपनी साही के बारे में बताया कि कैसे बिलकुल अकेले, उसे एक झाड़ू से प्रेम हो गया था. क्या मैं एक आत्म-प्रवंचित साही बनती जा रही हूँ? मैं किसी झाड़ू के, या जो कुछ भी उसे कहा जाता हो, चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. मैं उससे स्वतन्त्र रहना चाहती हूँ. एकाकीपन से स्वतन्त्र? यही वह रहस्य है जिसे मैं खुद से पूछा करती हूँ. स्वतंत्रता एकाकीपन की तलबगार होती है, मगर एकाकीपन बंधन बन जाता है. इस सोच के साथ मैं अपना सर दीवार से टकराया करती हूँ.
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कुछ चीजें, बेहतर है कि शब्दों से अछूती ही रहें (कुंद औजार).
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जब मैं छोटी थी तो लोगों के यह कहने पर मुझे हमेशा धक्का लगता था कि मैं एक अनाथ हूँ. अब, जब लोग मुझे विधवा कहते हैं तो मुझे आश्चर्य होता है. वह मरा नहीं, मेरे बगल वह इतना बड़ा हो गया कि मैं उस तक पहुँच नहीं पाती.
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मैं वापस आई
यह पक्का करने के लिए
कि वापसी नहीं हो सकती.
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मैं अपनी परछाईं को किसी कुत्ते की तरह पुकारती हूँ. और निकल पड़ती हूँ.
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बचपन से ही मुझे संदूक पसंद रहे हैं. मैं उनमें अपना मामूली खजाना रखा करती थी, कांच के टुकड़े, अगड़म-बगड़म. उसके बाद चिट्ठियाँ, परिवार की यादगारें. मगर अब कोई इतनी अच्छी चीज नहीं रही. क्या तुम प्यार को एक संदूक में अंटा सकते हो? आखिरी संदूक भी एक इंसान को नहीं अंटा सकता.
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"मेरा अस्तित्व है, इसलिए मैं नहीं रहूँगा." (स्लोबोदनिक)
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दो बुद्धिमान लोगों में सबसे बुद्धिमान वह होता है जो सबसे कम बोलता है.
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अपने बारे में बहुत ज्यादा बातें करना अपने कपड़े को उल्टा पहनने जैसा होता है.
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मैं सपना देखती हूँ कि मैं नहाना चाह रही हूँ. मैं टब में जाती हूँ मगर वह पानी से नहीं, किताबों से भरा है. आप किताबों से रगड़ने का काम नहीं कर सकते.
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"जब लोग पहाड़ों से मिलते हैं तो महान चीजें घटित होती हैं." (एक पुरानी बौद्ध कहावत) मैं फ़ौरन इतना जोड़ना चाहूंगी: यह समुद्र पर भी लागू होता है.
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सूत्र वाक्यों में गंभीर बातें.एक लेखिका के विचारों और कल्पना को समटने वाले नोट्स.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया................
ReplyDeleteसभी बार बार पढ़ने योग्य.....
अनु
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteaap videshi sahitya ka best dekar , hindi pathkon ke liye kimti karya kar rahe hain, parantu mujhe lagta hai ki aapko bhartiya sahitya ka bhi best dene ka bida uthana chahiye.
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