Tuesday, May 22, 2012

यानिस रित्सोस : कर्त्तव्य

महान यूनानी कवि  यानिस रित्सोस  की एक कविता...  

 
कर्त्तव्य : यानिस रित्सोस 
(अनुवाद  :  मनोज पटेल) 

सांझ के झुटपुटे में टिमटिमाता है एक सितारा 
किसी कुंजी के रोशन छेद की तरह 
तुम अपनी आँखें चिपका लेते हो उस पर -- भीतर नजर डालते हो -- हर चीज देखते हो तुम 
पूरी तरह रोशन है दुनिया बंद दरवाजे के पीछे 
तुम्हें उसे खोलने की जरूरत है 
               :: :: :: 

4 comments:

  1. लेकिन कैसे खुलेगा यह दरवाजा ? चाभी न मिली तो तोड़ना ही पड़ेगा !! बहुत गहरे अर्थों भारी कविता ! आभार मनोज जी !

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  2. बंद दरवाजा ही रहस्यमय दुनिया तक पहुँच को रोकता है.अँधेरे से रौशनी का सफर इतना सरल भी नहीं.

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