Wednesday, June 13, 2012

ऊलाव हाउगे : नया मेजपोश

ऊलाव हाउगे की एक और कविता...   

 
नया मेजपोश : ऊलाव हाउगे 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

नया पीला मेजपोश मेज पर. 
और कोरे सफ़ेद पन्ने! 
यहाँ आना ही चाहिए शब्दों को, 
इतना उम्दा नया मेजपोश है यहाँ 
और इतना उम्दा कागज़! 
बर्फ जम गई फ्योर्ड पर,  
पंछी आए और उतर गए.  
            :: :: :: 

फ्योर्ड : चट्टानों से घिरी लंबी सँकरी समुद्री खाड़ी 

4 comments:

  1. फ़्योर्ड पर जमी बरफ और उस पर उतरते पंछी , मेजपोश......... सफ़ेद कागज.........और शब्द !! बहुत सुंदर बिम्ब ! धन्यवाद मनोज जी !

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  2. 'यहाँ आना ही चाहिए शब्दों को'
    सुन्दर!

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    Replies
    1. शब्द के अवतरण के लिए लोगई कितना उत्सुक रहते थे !! कितनी चाह होती थी भीतर !! माना कि *शब्द जादू हैं * ....... लेकिन क्या शब्द *सब कुछ* हैं ??

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  3. बर्फ और सफ़ेद कागज पंछियों के शब्दों से जीवंत हो उठे.

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