Wednesday, June 20, 2012

मात्सु बाशो की कविता

जापानी कवि मात्सु बाशो (१८६२ - १९४२) की एक कविता...   

 
मात्सु बाशो की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

समय-समय पर आते रहते हैं बादल 
और मौक़ा मिल जाता है मुझे 
चाँद को ताकते रहने से सुस्ताने का. 
                    :: :: :: 

5 comments:

  1. सुस्ताने का मौक़ा भी कितना विरल हो गया है! ख़याल अच्छा है!

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  2. वाह वाह..................
    बेहद खूबसूरत.....
    जाने कहाँ कहाँ से खोज लाते हैं आप इतनी सुन्दर रचनाएँ.....
    बहुत शुक्रिया मनोज जी.

    अनु

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  3. बादलों में चाँद की लुका छिपी उसे और भी आकर्षक बना देती है और बादल मानो आकाश के कैनवास पर रचे चित्र हों.

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  4. यह रचना रहस्यवादी है.बहुत अच्छी.

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  5. ............. और चाँद को भी ,लगातार किसी की नज़रें झेलते रहने से ! सुंदर कविता ,आभार मनोज जी !

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