सुस्ताने का मौक़ा भी कितना विरल हो गया है! ख़याल अच्छा है!
वाह वाह..................बेहद खूबसूरत.....जाने कहाँ कहाँ से खोज लाते हैं आप इतनी सुन्दर रचनाएँ.....बहुत शुक्रिया मनोज जी.अनु
बादलों में चाँद की लुका छिपी उसे और भी आकर्षक बना देती है और बादल मानो आकाश के कैनवास पर रचे चित्र हों.
यह रचना रहस्यवादी है.बहुत अच्छी.
............. और चाँद को भी ,लगातार किसी की नज़रें झेलते रहने से ! सुंदर कविता ,आभार मनोज जी !
सुस्ताने का मौक़ा भी कितना विरल हो गया है! ख़याल अच्छा है!
ReplyDeleteवाह वाह..................
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत.....
जाने कहाँ कहाँ से खोज लाते हैं आप इतनी सुन्दर रचनाएँ.....
बहुत शुक्रिया मनोज जी.
अनु
बादलों में चाँद की लुका छिपी उसे और भी आकर्षक बना देती है और बादल मानो आकाश के कैनवास पर रचे चित्र हों.
ReplyDeleteयह रचना रहस्यवादी है.बहुत अच्छी.
ReplyDelete............. और चाँद को भी ,लगातार किसी की नज़रें झेलते रहने से ! सुंदर कविता ,आभार मनोज जी !
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