Thursday, June 28, 2012

हाल सिरोविट्ज़ : कार का सम्बन्ध

हाल सिरोविट्ज़ की एक और कविता...   

 
कार का सम्बन्ध : हाल सिरोविट्ज़ 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

लोग कहते हैं कि कार की बजाय सायकिल से देखने पर 
अलग से लगते हैं प्राकृतिक दृश्य. मोटर इतनी तेज भागती 

है कि आप देख नहीं सकते कुछ ख़ास. जब तक आप 
दर्ज कर पाए अपने दिमाग में कि वह एक पेड़ था बड़ा सा, 

आप पीछे छोड़ चुके थे उसे. मगर सायकिल पर आप रुक 
सकते थे. बहाना कर सकते थे कि हांफ रहे हैं आप,  

और निहार सकते थे डालियों को, शायद वहां दौड़ लगाती 
किसी गिलहरी को देखते हुए. एक दुनिया के भीतर 

एक दुनिया शामिल थी हर पेड़ में. यही किया मैंने अपने 
संबंधों के दौरान -- उस तरह से देखने की कोशिश की इसे 

जैसे कि सायकिल पर होऊँ मैं. पर जब कभी 
तुम्हें बेहतर देख पाने के लिए धीमे होने की कोशिश की मैंने, 

तुम कभी नहीं चली उस रफ़्तार से, बल्कि भागती ही गई आगे 
जैसे कि तुम नाराज थी कार में न होने से.  
                    :: :: ::

7 comments:

  1. ..........वह एक ठहरा हुआ पेड़ नहीं थी !उसे देखने केलिए कर पर सवार होना जरूरी था !
    अच्छी कविता ! आभार !

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  2. शानदार ...हममे से अधिकतर जीवन में कार पर ही सवार रहते हैं ....वे क्या देख पायंगे इस दुनिया को ....

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  3. शानदार ...हममे से अधिकतर जीवन में कार पर ही सवार रहते हैं ....वे क्या देख पायंगे इस दुनिया को ....

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  4. कार और सायकल के जरिये बहुत बढ़िया तरीके से कवि ने बात कही है.

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  5. वजन करने और उसे घटाने- बढ़ाने के बहाने मन को टटोलती और यादों की गठरी खोलती हुई कविता.

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  6. तेजी से दरक गये सम्बन्ध पर धीमी गति से विचार करने वालीं और साईकिल -कार के माध्यम से गति को दिखाने वाली सुन्दर कविता.

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