Wednesday, June 20, 2012

जैक एग्यूरो : यह भी कोई प्रार्थना है प्रभु?

जैक एग्यूरो की 'प्रार्थनाएं' आप इस ब्लॉग पर पढ़ते रहे हैं. ये सभी कविताएँ उनके संग्रह  'Lord, Is This a Psalm?' से अनूदित हैं. आज प्रस्तुत है इस संग्रह की पहली कविता...  

 
यह भी कोई प्रार्थना है प्रभु? : जैक एग्यूरो 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

प्रभु, 
यह भी कोई प्रार्थना है भला? 

जो मैं ठीक से नहीं गाता इसे, 
या बेसुरा हो जाता हूँ, 
क्या तुम सुनते हो?

प्रभु, 
वीणा बजाना तो मुझे आता नहीं 
न ही कोई और वाद्ययंत्र. 
ज्यादा से ज्यादा सीटी बजा सकता हूँ मैं,  
मगर बोल या गा नहीं सकता सीटी बजाते समय. 

और प्रभु, 
क्या तुम तब भी सुनोगे जब यह 
प्रशंसा न करती हो तुम्हारी? क्या थोड़ी सी 
छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते तुम? 
तुम कुछ मजाकपसंद तो जरूर होगे; 
नहीं तो और कैसे जवाब दे सकते हो 
पृथ्वी की सारी बेहूदगियों का?  

इसलिए भगवन, 
मैं कहता हूँ कि ये प्रार्थनाएं हैं, 
मैं कहता हूँ कि तुम्हें सुनना चाहिए इन्हें, 
और अगर ये पसंद न आएं तुम्हें 
फ़िक्र मत करना -- 
मैं दूसरी लिख रहा हूँ, 
और भी लिख रहा हूँ मैं. 
          :: :: :: 

8 comments:

  1. "और प्रभु....
    ...पृथ्वी की सारी बेहूदगियों का..." सही सवाल, पर जिसका कोई जवाब नहीं मिलना तय है.

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  2. बहुत खूब ! प्रभु से बातचीत का यह दोस्ताना लहजा भी खूब रहा !
    अच्छी कविता मनोज जी ! शुक्रिया !

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  3. सुन्दर संवाद सीधे प्रभु से...!
    वाह!

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  4. आपको पढ़ना हमेशा ही सुखद अनुभव होता है ..
    "क्या तब भी सुनोगे तुम जब यह प्रशंसा न करती हो तुम्हारी "
    बहुत खूब कयोकि अक्सर भगवन भी स्तुति ही पसंद करते है ...

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  5. बेहतरीन वक्तव्य, जो कविता की शैली में और अधिक प्रभावी बन पड़ी है। किसी सार्थक टिप्पणी के लिए कुछ इंतजार करना पड़ेगा। शायद मेरे माध्यम से कोई प्रत्युत्तर बन पड़े, इसी शैली में।

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  6. प्रभु से मित्रवत वार्तालाप .हम अक्सर उनसे ऐसे ही बतियाते हैं मानो वे हमारे प्रियजन हों.

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  7. बेहद खूबसूरत...
    लिखते रहें प्रार्थना....जाने कौन सी प्रभु के मन भा जाए.....

    वाह!!!!

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  8. बढ़िया.....बढ़िया....बढ़िया.....!!!

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