इस शायद ने ही कर दिये हैं एक के दो चाँद | ये शायद न रहे कल.......शायद !! अच्छी कविता ,अच्छा अनुवाद ,आभार !
"नए चांद पर मुझे बहुत भरोसा है मुझे मगर शायद है यह वही पुराना."अब यह पुराना भी हो तो क्या फ़र्क़ पड़ता है. भरोसा तो इसी पर है. भरोसा ही असल चीज़ है.
बहुत अच्छी कविता और मिसिरजी और मोहनजी की टिप्पणी भी बहुत बढ़िया.शुक्रिया मनोज भाई.
पुराना चाँद प्रतिदिन अपना स्वरुप बदलकर नया हो जाता है.
यूं भी दो चाँद मशहूर है ....एक घूंघट का और एक बदली का ....
इस शायद ने ही कर दिये हैं एक के दो चाँद | ये शायद न रहे कल.......शायद !!
ReplyDeleteअच्छी कविता ,अच्छा अनुवाद ,आभार !
"नए चांद पर मुझे बहुत भरोसा है मुझे
ReplyDeleteमगर शायद है यह वही पुराना."
अब यह पुराना भी हो तो क्या फ़र्क़ पड़ता है. भरोसा तो इसी पर है. भरोसा ही असल चीज़ है.
बहुत अच्छी कविता और मिसिरजी और मोहनजी की टिप्पणी भी बहुत बढ़िया.शुक्रिया मनोज भाई.
ReplyDeleteपुराना चाँद प्रतिदिन अपना स्वरुप बदलकर नया हो जाता है.
ReplyDeleteयूं भी दो चाँद मशहूर है ....एक घूंघट का और एक बदली का ....
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