Friday, June 1, 2012

यानिस रित्सोस की कविता

यानिस रित्सोस की एक कविता...  

 
अदला-बदली : यानिस रित्सोस 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

वे हल को ले गए खेत में 
और घर में ले आए खेत को -- 
एक अंतहीन अदला-बदली ने आकार दिया 
चीजों के मायने को. 

स्त्री ने जगह बदल लिया अबाबील से, 
वह कूजने लगी छत पर लगे अबाबील के घोंसले में बैठकर. 
अबाबील बैठी स्त्री के करघे पर और बुनने लगी 
सितारे, पंछी, फूल, नौकाएं, और मछली. 

अगर तुम जान भर पाती कि कितना सुन्दर है तुम्हारा मुंह 
तुम चूमती मेरी आँखें कि मैं देख न पाऊँ तुम्हें. 
                                                            जुलाई १९५५ 
                    :: :: :: 

3 comments:

  1. प्रकृति और प्रेम की सुन्दर कविता.

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  2. यह तो सिर के ऊपर से निकल गई ! क्या कहूँ ?

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