अमेरिकी कवि हाल सिरोविट्ज़ (जन्म १९४९) की एक कविता...
फच्चर : हाल सिरोविट्ज़
(अनुवाद : मनोज पटेल)
तुम्हीं थे जो मेरे पीछे-पीछे
चले आए थे लिफ्ट में
और मेरा फोन नंबर माँगा था, उसने कहा.
तुम्हें बहकाया नहीं था मैंने. असल में तो
मैंने रोकने की ही कोशिश की थी तुम्हें.
बता भी दिया था कि बड़ी दिक्कतें हैं मेरे साथ.
अकेले रहने की आदी थी मैं. पर जब
तुमने अपना फच्चर फंसा ही दिया है मेरी ज़िंदगी में,
मत समझना कि आसान होगा मुझे छोड़ना
लिफ्ट की हमारी पहली सवारी की तरह.
सीढ़ियों पर चढ़ने जैसा होगा वह.
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bahut badhiyaa ..
ReplyDeleteबेहतरीन अनुवाद है ...फच्चर शब्द का अद्भुत रूप से भावपूर्ण एवं मारक प्रयोग है ...
ReplyDeleteसुंदर.....!!
ReplyDeleteलिफ्ट के बहाने जीवन यात्रा में हमसफ़र बनने ओर बने रहने की उम्मीद करती कविता
ReplyDelete"अकेले रहने की आदी थी मैं. पर जब
ReplyDeleteतुमने अपना फच्चर फंसा ही दिया है मेरी ज़िंदगी में,
मत समझना कि आसान होगा मुझे छोड़ना..." अच्छा भविष्य-दर्शन कराती हैं ये पंक्तियां.