आज एक बार फिर येहूदा आमिखाई की कविता, 'एक बार एक बहुत अच्छा प्यार'.
एक बार एक बहुत अच्छा प्यार : येहूदा आमिखाई
(अनुवाद : मनोज पटेल)
एक बार एक बहुत अच्छे प्यार ने मेरी ज़िंदगी को काट दिया दो हिस्सों में.
पहला हिस्सा छटपटाता हुआ चला जाता है
किसी और जगह पर, जैसे कोई सांप दो हिस्सों में काटा हुआ.
गुजरते हुए सालों ने मुझे शांत किया है
मेरे दिल के जख्म को भरा और आँखों को आराम पहुंचाया है.
और मैं जूडियन रेगिस्तान में खड़े ऐसे इंसान की तरह हूँ,
जो एक साइन बोर्ड देख रहा है :
'समुद्र की सतह' से.
वह समुद्र नहीं देख पा रहा, मगर वह जानता है.
इस तरह मैं याद करता हूँ तुम्हारा चेहरा हर जगह
तुम्हारे 'चेहरे की सतह' से.
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''इस तरह मै याद करता हूँ तुम्हारा चेहरा ,हर जगह तुम्हारे 'चेहरे कि सतह'' से ......लाज़वाब
ReplyDeletebehtareen behtareen
ReplyDeletekamaal hai..Manoj ji..i m actually getting addicted to these translations..thaaaaanx alot..
ReplyDeleteइस तरह मैं याद करता हूँ तुम्हारा चेहरा हर जगह
ReplyDeleteतुम्हारे 'चेहरे की सतह' से.
oh...love this.....
bahut achchha anuvaad...badhai..
ReplyDeletepriyanka
Bahut hi sundar kavita padhane k liye dhanyawad...yahuda Amikhai se mera parichay aap hi ke dwara hua or har baar padhne me kuch naya hi anubhav hota hai..dhanyawad.
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