एफ्रेन हुएर्ता (1914 - 1982) सामाजिक राजनीतिक बदलाव के लिए प्रतिबद्ध मेक्सिको के प्रमुख कवि. मेक्सिको सिटी में बहुत सालों तक पत्रकार के रूप में कार्य, खासतौर पर फिल्म समीक्षा के क्षेत्र में. ढेर सारे पुरस्कार. 1938 से 1941 तक साहित्यिक पत्रिका टालर में आक्टोवियो पाज के साथ काम किया. 1988 में समग्र कविताएँ Poesia Completa के नाम से मेक्सिको में प्रकाशित.
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मार्क्सवाद के
अपने
पुराने गुरुओं को
मैं
समझ नहीं पाता :
कुछ तो
जेल में हैं
बाक़ी
सत्ता में.
* * *
kamaal hai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeletebehad prasangik :)
ReplyDeleteमार्क्सवादियों में सुविधाभोग और अतिवाद की प्रवत्तियों ,जो कि क्रमशः थकान और अधैर्य के दुष्परिणाम होते हैं ,की और और बड़ी सफाई से इंगित करती है कविता !
ReplyDeleteप्रसंशनीय रचना और प्रस्तुति !
अबतक की पढ़ी गई सबसे छोटी मगर शक्तिशाली कविताओं मेंसे एक
ReplyDelete..आभार
_aharnishsagar