Friday, May 27, 2011

फदील अल-अज्ज़वी की कविताएँ


फदील अल-अज्ज़वी की दो और कविताएँ पढ़ते हैं... 














कवि 


एक बार मैं एक ऐसे कवि से मिला 
जिसने अपनी ज़िंदगी मृतकों के बीच बिताई थी. 
यह पता चलने पर कि मैं ज़िंदा हूँ,
उसने अपना नाम फदील अल-अज्ज़वी, रख लिया, जो मेरा खुद का नाम था 
और अपने दुश्मनों को झांसा देने के लिए 
मेरी कविताएँ अपने नाम से प्रकाशित करवाने लगा. 
फिर वह मेरे पास आया और 
दुनिया के शैतानों के खिलाफ अपने युद्ध में 
अपना साथ देने के लिए कहा. 
"हम दोनों मिलकर 
अपनी कविताओं से 
मौत के फौजियों को शिकस्त दे सकते हैं", 
वह ऐसा ही कुछ कहता 
और मैं उसका यकीन कर लेता. 
इस तरह मैनें लिखी 
                    कविता 
                दर 
                    कविता 
उस कवि के बारे में जो लिखा करता था 
                    कविता 
               दर 
                    कविता 
दुनिया की सारी मौतों के खिलाफ 
ताकि वह ज़िंदा रह सके.
                    :: :: :: 

आत्मघाती कविता 

वे कभी नहीं आएँगे, न यहाँ से, न वहां से 
वे कभी नहीं आएँगे, न यहाँ से, न वहां 
वे कभी नहीं आएँगे, न यहाँ से, न 
वे कभी नहीं आएँगे, न यहाँ से 
वे कभी नहीं आएँगे, न यहाँ 
वे कभी नहीं आएँगे, न 
वे कभी नहीं आएँगे 
वे कभी नहीं 
वे कभी 
वे 
                    :: :: :: 

(अनुवाद : मनोज पटेल)

1 comment:

  1. mujh jaisa ik aadmi, mera hee humnaam
    ulta seedha wo chale, mujhe kare badnaam

    - nida fazli

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...