आज फिर से फदील अल-अज्ज़वी की दो कविताएँ...
एक जादुई कविता कैसे लिखें
जादुई कविता लिखने से आसान कुछ भी नहीं
अगर आप मजबूत कलेजे
और कम से कम, साफ़ इरादों वाले हैं.
यह इतना मुश्किल नहीं, मैं आपको यकीन दिलाता हूँ.
एक रस्सी लीजिए और उसे एक बादल से बाँध दीजिए
और उसका एक सिरा लटकता छोड़ दीजिए.
अब एक बच्चे की तरह रस्सी के सहारे ऊपर तक चढ़ जाईए
और फिर उसे वापस हम तक फेंक दीजिए
ताकि हम आपको पाने की बेमतलब कोशिश करें
हर कविता में.
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गलतफहमी
कवि ने मंच पर खड़े होकर
अपना परिचय दिया :
"मेरी कविताएँ चिड़िया हैं !"
चिड़ियाएँ हमारे सर पर मंडराने लगीं और उन्होंने गाया :
"हम कविताएँ हैं !"
इस तरह आप कह सकते हैं कि
कल काफीघर में मैनें एक चिड़िया लिखी,
और उसके पहले गीतों की एक मधुशाला में
खाई एक कविता.
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(अनुवाद : मनोज पटेल)
''इस तरह आप कह सकते हैं कि
ReplyDeleteकल काफीघर में मैंने एक चिड़िया लिखी''
!!!!!!!!!सुंदर अनुवाद !
Baadal se phenki rassi milee..
ReplyDeleteअसरदार व्यंग्यात्मक कवितायेँ ! ऐसे कवियों पर करारा कटाक्ष जिन्होंने ----
ReplyDelete" कुछ भी न कहा और कह भी गए ,
कुछ कहते-कहते रह भी गए !"
ye to kavi ka hi najriya ho sakta hai ..
ReplyDeleteजादुई कवितायेँ लिखने से आसान कुछ भी नहीं ...
ReplyDeleteमैं तो आपके चयन की कायल हूँ.
जादू की कविता ...!
ReplyDeleteकविता का जादू ...!!
हाँ! सही कहा है..कविता ऐसे ही बनती है ....
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