इतालो काल्विनो की कहानियों के क्रम में आज उनकी एक और छोटी कहानी, 'वजह'. रचनाकाल 1943
वजह : इतालो काल्विनो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
अब चूंकि सिर्फ गुल्ली-डंडा का खेल ही इकलौती ऎसी चीज थी जिसकी मनाही नहीं थी, तो सारे लोग क़स्बे के पीछे के घास के मैदान पर जुटते और गुल्ली-डंडा खेलते हुए अपने दिन बिताते.
और चूंकि चीजों को प्रतिषिद्ध करने वाले क़ानून हमेशा बेहतर तर्कों के साथ और एक-एक कर बनाए गए थे, किसी के पास न तो शिकायत करने की कोई वजह थी और न ही उन कानूनों का आदी होने में उन्हें कोई मुश्किल आई.
सालों बीत गए. एक दिन हुक्मरानों को समझ में आया कि हर चीज की मनाही की कोई तुक नहीं है तो उन्होंने सारे लोगों तक यह बात पहुंचाने के लिए हरकारे दौड़ाए कि वे जो चाहे कर सकते हैं.
हरकारे उन जगहों पर गए जहां जुटने के लोग आदी थे.
'सुनो, सुनो' उन्होंने एलान किया, 'अब किसी चीज की मनाही नहीं है.'
जनता गुल्ली-डंडा खेलती रही.
'समझ में आया ?' हरकारों ने जोर देकर कहा. 'तुम जो चाहो वो करने के लिए आज़ाद हो.'
'अच्छी बात है,' लोगों ने जवाब दिया. 'हम गुल्ली-डंडा खेल तो रहे हैं.'
हरकारों ने जल्दी-जल्दी उन तमाम अनोखे और फायदेमंद धंधों की बाबत उन्हें याद दिलाया जिनमें कभी वे सब मसरूफ़ हुआ करते थे और अब, वे एक बार फिर से उन्हें कर सकते थे. मगर लोगों ने उनकी बात नहीं सुनी और वे बिना दम लिए, प्रहार दर प्रहार गुल्ली-डंडा खेलने में लगे रहे.
अपनी कोशिशों को जाया होते देख हरकारे यह बात हुक्मरानों को बताने के लिए गए.
'सीधा सा उपाय है,' हुक्मरानों ने कहा. 'गुल्ली-डंडा के खेल की ही मनाही कर देते हैं.'
यही वह बात थी जिसपर लोगों ने बगावत कर दी और हुक्मरानों को मार डाला.
और बिना वक़्त बर्बाद किए वे फिर से गुल्ली-डंडा खेलने लगे.
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एक बहुत सुन्दर लघु कहानी. आदत जनूनी हद तक पागल होती है. श्रेष्ठ अनुवाद.
ReplyDeleteyour blog is one of the best. good luck
ReplyDeleteBahut hi sundar kahani ...human nature par ek acute reflection dikhata hai. Dhanyawad Manoj ji.
ReplyDeleteशानदार...
ReplyDeleteलाजवाब!
ReplyDeleteबेहतर...
ReplyDeleteSuperb..
ReplyDeletevaah, kyaa baat hai...?yah anveshi man sakriy rahe..
ReplyDeletei agree wid first comment..aadat kab junoon ban jaye koi keh nahi sakta.. Bt this story failed to leave a mark on memory.. :) perhaps its too short for it. Could be used for examples :)
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