Wednesday, June 1, 2011

नाजिम हिकमत : तुम नहीं हो उन छः औरतों में


इब्राहिम बलबन की इस पेंटिंग 'द प्रिजन गेट्स' पर नाजिम हिकमत ने यह अद्भुत कविता लिखी थी...  

इब्राहिम बलबन : 'द प्रिजन गेटस'













इब्राहिम बलबन की पेंटिंग "जेल के फाटक" पर : नाजिम हिकमत 

(अनुवाद : मनोज पटेल)

छः औरतें इंतज़ार करती हुईं लोहे के फाटक के बाहर,
पांच बैठी जबकि एक खड़ी हुई ;

आठ बच्चे इंतज़ार करते हुए लोहे के फाटक के बाहर,
इतने छोटे कि हंस भी नहीं सकते. 

छः औरतें इंतज़ार करती हुईं लोहे के फाटक के बाहर, 
सब्रवान पैरों और ग़मज़दा हाथों के साथ ; 

आठ बच्चे इंतज़ार करते हुए लोहे के फाटक के बाहर, 
कपड़ों में लिपटे नवजात, पूरी खुली आँखों के साथ. 

छः औरतें इंतज़ार करती हुईं लोहे के फाटक के बाहर, 
नजर नहीं आ रहे उनके समेटे हुए बाल ;

आठ बच्चे इंतज़ार करते हुए लोहे के फाटक के बाहर, 
एक के हाथ मजबूती से जुड़े हुए. 

एक चौकीदार खड़ा हुआ लोहे के फाटक के बाहर, 
न दोस्त न दुश्मन ; दूर देखते हुए, और दिन गर्म. 

एक खच्चर है लोहे के फाटक के बाहर :
लगता है अभी रो पड़ेगा वह.

एक कुत्ता भी है लोहे के फाटक के बाहर -- 
पीले रंग का और काले नथुने वाला. 

बेंत की टोकरियाँ हैं हरी मिर्च भरी हुई, लहसुन 
और प्याज भरे हुए झोलों में, और कोयले के थैले.

छः औरतें इंतज़ार करती हुईं लोहे के फाटक के बाहर, 
और भीतर - यही कोई पांच सौ आदमी ; 

तुम नहीं हो उन छः औरतों में से एक,
मगर मैं हूँ एक, इन पांच सौ आदमियों में. 
                                                                     28 दिसंबर 1949 
                                                                              बरसा जेल 
                           :: :: :: 

4 comments:

  1. हमेशा की तरह अनुवाद कर्म के साथ पूरा न्याय... बधाई..

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  2. http://poetrywithmathematics.blogspot.com/2011/05/hikmet-painting-with-numbers.html

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