अडोनिस की दो कविताएँ...
शोकगीत (अपने पिता के लिए)
1.
मेरे पिता एक भविष्य हैं
जो बहता चला आता है हमारी तरफ,
एक सूरज,
और बदली छा जाती है हमारे घर के ऊपर.
मैं प्रेम करता हूँ उनसे, एक दफनाए हुए गूढ़ राज से,
मिट्टी में ढँके एक माथे से.
मैं प्रेम करता हूँ उनसे, उनकी सड़ती हड्डियों और मिट्टी से.
2.
खामोशी छंट गई हमारे घर के ऊपर से,
और उठने लगी एक शांत विलाप की आवाज़ --
और जब मेरे पिता को ले लिया मौत ने अपने आगोश में
सूख गया एक खेत, एक गौरैया उड़ गई.
:: :: ::
अँधेरे में रहने वाले एक आदमी का गीत
ऊपर चढ़ना? मगर कैसे?
मशाल नहीं हैं ये पहाड़ियां.
वहां ऊपर बर्फ में
कोई सीढ़ी नहीं है मेरे इंतज़ार में.
इसलिए यहाँ से
तुम्हारी खातिर --
दर्द भरा ये सन्देश...
हर बार जब मैं खड़ा होता हूँ,
न बोलते हैं
मेरे खून में दौड़ रहे पहाड़,
और अन्धेरा
जकड़ लेता है मुझे अपनी तंग उदासी में.
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(अनुवाद : मनोज पटेल)
itani sundar kavitaaon ka jawaab nahin hai ..
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