अडोनिस की कविता...
एक कोट : अडोनिस
(अनुवाद : मनोज पटेल)
एक कोट है हमारे घर में
जिसे सिला है मेरे पिता की ज़िंदगी ने
मेहनत के धागों से.
यह मुझे बताता है -- तुम रहे उनकी दरी पर
जैसे पेड़ से काट दी गई कोई डाली
और उनके लिए तुम थे
भविष्य के भी भविष्य.
एक कोट है हमारे घर में
लापरवाही से कहीं फेंका हुआ,
जो जोड़ता है मुझे इस छत से
इस गारे और पत्थर से.
इस कोट के छेदों में मुझे दिखती हैं
अपने पिता की गले लगाती बाहें,
उनका दिल, और बहुत गहरे बसी
कोई चाहत.
यह बचाता है मुझे, ढँक लेता है,
दुआओं से भर देता है मेरे रास्तों को,
उनकी बाँसुरी सौंपता है मुझे,
एक जंगल और एक गीत.
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