Tuesday, June 14, 2011

फदील अल-अज्ज़वी : घटनाएं


फिर से फदील अल-अज्ज़वी... 

 

घटनाएं : फदील अल-अज्ज़वी 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

कुछ न कुछ घटता रहता है हमेशा : 
अचानक शुरू हो सकती है कोई जंग 
गुफा में जन्म लेता है कोई बच्चा 
टूट जाता है कोई तनहा दिल.
क्या मैं भूल जाऊं यह सब ?
कुछ न कुछ बहता रहता है हमेशा :
नदी में पानी 
शराबघर में शराब 
आंसू और खून भी 
क्या मैं रोक सकता हूँ इनका बहना ?
कुछ न कुछ याद करते रहते हैं हम हमेशा :
एक बात जो हमें जुबानी याद थी 
शराबघर में छूट गई एक छतरी 
एक स्त्री जिसे 
दिल से चाहा था हमने 
क्या मैं खुश हो सकता हूँ इन सब चीजों पर ?
और अगर कुछ नहीं होता ? 
मसलन 
अगर मैं नहीं जीतता लाटरी में लाखों रूपए 
या नहीं मिल जाता मुझे अपने बगीचे में कोई खजाना 
या चन्द्रमा के सफ़र पर नहीं जा पाता मैं, 
तो क्या इन वजहों से मुझे उदास नहीं होना चाहिए ?  
                    :: :: :: 

4 comments:

  1. जो है उसकी अर्थवत्ता पर संदेह करती कविता ! बढ़िया अनुवाद ! बधाई मनोज जी !

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  2. किसी चीज के अभाव में नकाराताम्क दृष्टि रखती हुवी भावना को सही ठहरता प्रश्नबिंदु .. उम्दा

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  3. सघन अनुभूति।तन्हा करने वाती।बहुत आत्मीय।

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  4. सघन अनुभूति।तन्हा करने वाती कविता।आत्मीय।

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