Thursday, June 9, 2011

मैं जल रही हूँ प्रेम और कविता में


हमदा खमीस की एक और कविता पढ़ते हैं... 












खुश होने का समय : हमदा खमीस 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

थोड़ा सा दूर हो जाओ उदासी 
मैं खोलूँ अपनी नोटबुक 
और बनाऊँ दिल की फुलवारी 
                    ~ ~

विलाप करो हवा 
तुम्हारे साथ नहीं साझा करूंगी मैं 
अपना रोना 
                    ~ ~

अपना तम्बू तान दो, अँधेरे 
और हमारी गर्दनों में 
धंसाओ अपने आतंक के पंजे. 
सनसनाती हवा को बुझाने दो 
घरों और सड़कों के सारे चिराग.
मैं जल रही हूँ 
प्रेम और कविता में, 
मेरा दिल लैस है 
सुबह से. 
                    :: :: :: 

5 comments:

  1. ek ek bhaw ko anuvadit kerte samay aapki manodasha isse viprit nahi hogi

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  2. अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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  3. lajawab.........................

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