ट्युनिसियाई पिता और फ्रांसीसी माता की संतान अमीना सईद का जन्म 1953 में ट्यूनिस में हुआ था. अरबी और फ्रेंच दोनों भाषाओं का ज्ञान लेकिन कवितायेँ फ्रेंच में लिखती हैं. सोलह साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ पेरिस आकर अंग्रेजी साहित्य की शिक्षा प्राप्त की. फिर ट्यूनिस वापस जाकर 1979 तक अध्यापन कार्य किया. उसके बाद स्थायी रूप से पेरिस में बसने का फैसला. कविता की आठ किताबें प्रकाशित. कविताओं का दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद. इसी सप्ताह शुरू हो रहे राटरडम कविता महोत्सव में 17 जून 2011 को अमीना सईद का कविता पाठ निर्धारित है.
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं जानती हूँ एक दिन कागज़
खामोशी का तर्जुमा करना बंद कर देगा
इंसानी बातों में
लफ्ज़ खुद ही
मेरा दरवाज़ा खटखटाना बंद कर देंगे
वक़्त मुझे मरता हुआ देखेगा
शायद बहुत दूर समुन्दर से
उफ़क को लिए हुए बाहों में
सितारा जो चमकता है मेरे लिए
बुझ जाएगा धीरे-धीरे
और रात मुझे चुपचाप तह करके रख देगी
मौत के अँधेरे अंडे में
तब मेरे पहले बचपन की सुबह
मुझे याद करेगी
वह पुराना पेड़
जिसने मुझे जाते हुए देखा था
और वे सारे परिंदे
जो मेरे आसमान से गुजरे थे
मुझे याद करेंगे
जब मेरी परछाईं को
छुएगी रोशनी
मैं जान जाऊंगी कि वह मैं ही थी
ठीक अपनी दोगुनी
केवल हाड़-मांस की परछाईं ही
चल-फिर सकती है इस धरती पर.
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apni he vishisht pahchan liye hue aapka blog na jaane kitne he logon ko vish saahitya se jod chuka hai. ham sabke jeevan me manoj ji aapka ya yogdan kisi bahut bade punya se kam nahin. nirantar achchi kavitaaye chun kar aap hame padhate hain. abhar.
ReplyDeleteमन के अंदर उथल-पुथल उत्पन्न करती एक सुन्दर कविता उतना ही सुंदर अनुवाद....
ReplyDeleteआभार मनोज जी...
शांत बहती क्षिप्र-धारा सी लगी अमीना सईद की कविता ,जिसमे लहरें तो उठती हैं लेकिन धारा को तोड़ती नहीं ! बहुत सुन्दर ! धन्यवाद मनोज जी !
ReplyDeleteएक दिन कागज़
ReplyDeleteखामोशी का तर्जुमा करना बंद कर देगा ..
सितारा जो चमकता है मेरे लिए
बुझ जाएगा धीरे-धीरे ..
शुक्रिया मनोज भाई एक सुन्दर कविता से परिचय कराने के लिए .
Ekdam khamosh kar deti hain kuch kavitayen.
ReplyDeleteइस कविता के अनुवाद की सबसे बड़ी खासियत है हिन्दी-उर्दू के शब्दों का सहज और रवानी भरा प्रयोग...कविता तो खैर शानदार है ही.
ReplyDeleteameena saied ji ki kavita mai janta hu ek din,bahut prabhi hai ,laybadhyata ke saath shaved chitra banati hai
ReplyDeletekhamoshi se yaden doharati ek khoobsurat kavita...
ReplyDeletebahut kubsoorat
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी काव्य-संवेदना... खुद पर नजर डालने का ऐसा अंदाज सचमुच अनूठा... अनुवाद काबिलेतारीफ। उपलब्ध कराने के लिए 'पढ़ते-पढ़ते' का आभार...
ReplyDeletebahut badhiya...
ReplyDeleteaj is blog ki bahut si kavitayen padh gaya hu. best place for world poetry in hindi translation.
ReplyDeleteBahut Sunder Kaviyyen... thank u Manoj ji, aap ne jo anubad kya aur hume padne ka awasar mila..
ReplyDeletebahut sunder kavityen... thanks Manoj ji anubad karne k lye.
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