1930 में सीरिया में जन्मे अली अहमद सईद, अडोनिस के उपनाम से लिखते हैं. अपने राजनीतिक विचारों के कारण जेल में डाले जाने के बाद 1956 में वे बेरुत चले गए. चार साल बाद लेबनानी नागरिकता. 1958 में 'मवाकिफ' साहित्यिक पत्रिका की शुरूआत. अडोनिस अरबी साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण कवि एवं आलोचक माने जाते हैं.
आग का पेड़
नदी के किनारे खड़ा पेड़
पत्तियों के आंसू गिरा रहा है.
आँसू दर आंसू
ढँक दिया है उसने किनारे को.
वह सुना रहा है नदी को
आग की अपनी भविष्यवाणी.
मैं आखिरी पत्ती हूँ
जिसे कोई नहीं देख पाता
मेरे लोग
ख़त्म हो चुके हैं
जैसे ख़त्म हो जाती है आग
बिना कोई निशान छोड़े.
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गीतों का मुखौटा
अपने खुद के इतिहास के नाम पर
दलदल में फंसे एक देश में,
भूख से परेशान हो
वह अपना ही माथा खा जाता है.
उसकी मौत हो जाती है.
मौसम कभी नहीं जान पाते कि कैसे.
उसकी मौत गीतों के अनंत मुखौटे के पीछे होती है.
इकलौता वफादार बीज,
वह अकेला गहरे दफ़न रहता है ज़िंदगी में.
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प्यार
सड़क और मकान मुझे प्यार करते हैं,
जीवित और मृतक,
और घर पर रखा लाल मिट्टी का जग
जिस पर फ़िदा है पानी.
पड़ोसी मुझे प्यार करता है,
खेत, खलिहान, और आग.
मेहनतकश हाथ, जो बेहतर बनाते हैं दुनिया को
मुझे प्यार करते हैं.
और बदले में कुछ पाए बिना भी चले जाते हैं खुशी-खुशी.
और इधर-उधर बिखरे पड़े हैं
मेरे भाई की मुरझाई छाती के टुकड़े,
गेहूं की बालियों और मौसम में छिपे,
खून को भी शर्मसार कर देने वाले लाल इन्द्रगोप पत्थर की तरह.
वह ईश्वर था प्यार का मेरे समय में.
क्या करेगा प्यार जब मैं भी नहीं रहूँगा.
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(अनुवाद : मनोज पटेल)
(अनुवाद : मनोज पटेल)
कुछ साल पहले मुझे अडोनिस के साथ एक रेडियो कार्यक्रम करने का मौका मिला था. मुझे लगा था कि उनकी मुस्कान बहुत मीठी है, पर कविताओं में बहुत उदासी है.
ReplyDeleteमनोज जी, हिन्दी में उनकी कविताओं से परिचय कराने के लिए धन्यवाद
बहुत सुंदर दिल को छूती हुई कवितायें !
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