Saturday, June 30, 2012

अन्ना कमिएन्स्का : एक अस्पताल में

अन्ना कमिएन्स्का की एक कविता...   

 
एक अस्पताल में : अन्ना कमिएन्स्का 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

कोई नहीं खड़ा है 
उस बूढ़ी औरत के बगल 
जो मर रही है एक गलियारे में 

बहुत दिनों से 
छत को ताकती वह 
उँगलियों से कुछ लिखती है हवा में 

कोई आंसू नहीं, कोई मातम नहीं 
हाथों का मसलना नहीं 
पर्याप्त फ़रिश्ते नहीं निकले हैं काम पर 

कुछ मौतें विनम्र होती हैं और शांत 
जैसे किसी ने छोड़ दी हो अपनी जगह 
एक भीड़ भरी ट्राम में. 
               :: :: :: 
अन्ना कमिएन्स्का की नोटबुक के चुनिंदा अंश यहाँ पढ़िए. 

6 comments:

  1. 'कुछ मौतें विनम्र होती हैं और शांत'
    ...a statement that says all!
    Great Translation!

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  2. ह्रदयस्पर्शी.शुक्रिया मनोज भाई.

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  3. उपेक्षित व्यक्ति की विनम्र और शांत मौत की ओर ध्यान दिलाती मार्मिक कविता.

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  4. gahan abhivyakti ...hriday chhoo gayi ...

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