उसने कहा था के क्रम में आज पाब्लो पिकासो के कुछ कोट्स...
उसने कहा था : पाब्लो पिकासो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
सभी बच्चे कलाकार होते हैं. समस्या तो यह है कि बड़े होने के बाद भी कैसे कलाकार बना रहा जाए.
हमें क्या पेंट करना है, जो चेहरे पर है, जो चेहरे के भीतर है, या जो उसके पीछे है?
कला एक झूठ है जो सत्य जानने में हमारी सहायता करती है.
कला अनावश्यक का निरसन है.
कला आत्मा से रोजमर्रा की ज़िंदगी के गर्दो-गुबार को धो डालती है.
खराब कलाकार नक़ल करते हैं, अच्छे कलाकार चोरी.
कम्प्यूटर बेकार होते हैं. वे आपको सिर्फ उत्तर दे सकते हैं.
सृजन का हर कार्य पहले विध्वंस का कार्य होता है.
हर चीज एक करिश्मा है. यह करिश्मा ही है कि नहाते समय कोई चीनी के दाने की तरह गल नहीं जाता.
हर वह चीज वास्तविक है जिसकी तुम कल्पना कर सकते हो.
मैं तलाश नहीं करता, मैं पा जाता हूँ.
काश कि हम अपना दिमाग बाहर निकालकर सिर्फ अपनी आँखों का इस्तेमाल कर सकते.
जवान होने में बहुत वक़्त लगता है.
पेंटिंग डायरी लिखने का ही दूसरा तरीका है.
कुछ पेंटर सूरज को एक पीले धब्बे में बदल देते हैं, अन्य पेंटर एक पीले धब्बे को सूरज में.
"अच्छी" समझ रचनात्मकता की सबसे बड़ी दुश्मन होती है.
आजकल की दुनिया के मायने समझ में नहीं आते. तो मैं ऎसी पेंटिंग क्यों बनाऊँ जो समझ में आएं?
हम बूढ़े नहीं होते जाते, हम पकते जाते हैं.
इंसान के चेहरे को सही ढंग से कौन देखता है: फोटोग्राफर, आईना, या पेंटर?
काम मनुष्य के लिए एक आवश्यकता है. मनुष्य ने ही अलार्म घड़ी का आविष्कार किया.
नौजवानी की कोई उम्र नहीं होती.
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Manoj Patel, parte parte, parhte parhte, padte padte
रूसो की ख्याति सबसे पहले कला को नुकसानदेह साबित करते लेख से हुई थी, उसी की याद हो आई...
ReplyDeleteAdbhut !
ReplyDeleteक्या खूब कहा था!
ReplyDeleteवाह!
Bahut khoob... Sharing Manoj ji.
ReplyDeletegazab
ReplyDeleteवाह। कम्प्यूटर सिर्फ उत्तर दे सकते हैं। सिर्फ
ReplyDeleteमनोज जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत अच्छा लगा। कम्प्ूयटर सिर्फ उत्तर दे सकते हैं।
ReplyDeleteशुक्रिया मनोज जी।