Friday, February 24, 2012

हमदा खमीस : आग नहीं लगी दुनिया में?

हमदा खमीस की कुछ कविताएँ आप इस ब्लॉग पर पहले भी पढ़ चुके हैं. उनका जन्म १९४६ में बहरीन में हुआ था. बग़दाद यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई. संयुक्त अरब अमीरात में पत्रकार के रूप में कार्य. अब तक नौ कविता-संग्रह प्रकाशित. उनकी कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है.   

 
हमदा खमीस की कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

हर देह 
एक ब्रह्माण्ड है 

हर कविता 
एक स्त्री 
:: :: :: 

तुम्हें याद हैं 
वे राहें 
जिन पर चला करते थे हम? 

वे 
नसें बन गईं मेरी 
:: :: :: 

देह के साथ 
देह, 
ज्वालामुखी 
ज्वालामुखी के साथ 

आग नहीं लगी दुनिया में?
:: :: :: 

10 comments:

  1. Is it the mind,
    is it the body,
    is it the heart,
    or is it the constitution?

    Who am I?
    And where do you stand with me?

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  2. बहुत गहरी कवितायें...

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  3. ओह ....सोचता हूँ ...इतने लंबे समय से बिना किसी गैर-रचनात्मक महत्वाकांक्षा के इतनी सुंदर और इतनी सघन-संवेदनात्मक कविताओं से गुज़रते हुए, फिर उन्हे एक दूसरी, अपनी ही भाषा में ढालते हुए, आप स्वयं कैसे हो गए हो गए होंगे? कितने पवित्र, कितने वीतराग...... कितने सृजन=सम्पन्न....!! एक बार आपको छूने का आपको देखने का मन आज सुबह सुबह हो रहा है .....बधाई !!

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  4. ओह ....सोचता हूँ ...इतने लंबे समय से बिना किसी गैर-रचनात्मक महत्वाकांक्षा के इतनी सुंदर और इतनी सघन-संवेदनात्मक कविताओं से गुज़रते हुए, फिर उन्हे एक दूसरी, अपनी ही भाषा में ढालते हुए, आप स्वयं कैसे हो गए हो गए होंगे? कितने पवित्र, कितने वीतराग...... कितने सृजन=सम्पन्न....!! एक बार आपको छूने का मन आज सुबह सुबह हो रहा है .....बधाई !!

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    1. ओह सर, किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ इस भीगे हुए मन से, पता नहीं क्यों बहुत रोना आ रहा है.

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  5. बेहतरीन अनुवाद....
    उदय दा जैसी संवेदना वाले शब्द मेरे पास नहीं । पर अद्भुत चयन है आपका । अनुवाद अप्रतिम ।
    बधाई

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