Monday, February 20, 2012

रोक डाल्टन : यकीन


रोक डाल्टन (अल सल्वाडोर, 1935 - 1975) एक कवि, लेखक, बुद्धिजीवी और क्रांतिकारी की हैसियत से लैटिन अमेरिका के इतिहास की महत्वपूर्ण शख्सियत रहे हैं. अपने छोटे से जीवन में उन्होंने कुल मिलाकर 18 किताबें लिखीं. मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों से प्रभावित डाल्टन ने क्रांतिकारी एक्टिविस्ट बनने का भी काफी प्रयास किया जिसे यह कहते हुए नकार दिया गया कि क्रान्ति में उनकी भूमिका एक कवि के रूप में ही है. मेक्सिको में निर्वासन में रहने के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया और मौत की सजा सुनाई गई लेकिन भूकंप में जेल के ध्वस्त हो जाने के कारण वे चमत्कारी ढंग से बच निकले. इसके पूर्व भी 1960 में सैनिक शासकों ने उन्हें गिरफ्तार कर किसानों को जमींदारों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. जिस रात उन्हें फायरिंग स्क्वाड का सामना करना था उसी रात तत्कालीन तानाशाह कर्नल जोसे मारिया लिमोस का तख्ता पलट गया और वे बच गए. 1975 में एक अति-वामपंथी समूह ने उनकी हत्या कर दी.   


यकीन : रोक डाल्टन 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

चार घंटों की यातना के बाद, अपाचे एवं अन्य दो सिपाहियों ने कैदी को होश में लाने के लिए उस पर एक बाल्टी पानी फेंक कर कहा : "कर्नल ने हमें यह बताने का हुक्म दिया है कि तुम्हें खुद को बचाने का एक मौक़ा दिया जाने वाला है. यदि तुम सही-सही यह बता दो कि हममें से किसकी एक आँख शीशे की है, तो तुम्हें यातना से छुटकारा दे दिया जाएगा." जल्लादों के चेहरे पर निगाहें फिराने के बाद, कैदी ने उनमें से एक की तरफ इशारा किया : "वह, उसकी दाहिनी आँख शीशे की है." 

अचंभित सिपाहियों ने कहा, "तुम तो बच गए ! लेकिन तुमने कैसे अंदाजा लगाया ? तुम्हारे सभी साथी गच्चा खा गए क्योंकि यह अमेरिकी आँख है, यानी एकदम बेऐब." "सीधी सी बात है," फिर से बेहोशी तारी होने का एहसास करते हुए कैदी ने कहा, "यही इकलौती आँख थी जिसमें मेरे लिए नफरत नहीं थी." 

जाहिर है, उन्होंने उसे यातना देना जारी रखा. 
                                                  :: :: :: 
(यह अनुवाद नई बात ब्लॉग एवं जनसंदेश टाइम्स में पूर्व-प्रकाशित है) 

3 comments:

  1. क्या अचूक पहचान बताई है ! सच में रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

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  2. Waah.. Kya jawaab tha.. - Reena Satin

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