Friday, February 3, 2012

राबर्टो जुअर्रोज़ : आज दुख हो रहा है सोचने में

राबर्टो जुअर्रोज़ की एक और कविता... 

 
राबर्टो जुअर्रोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

आज दुख हो रहा है सोचने में, 
तकलीफ दे रहा है वह हाथ जिससे मैं लिखता हूँ, 
वह शब्द तकलीफ दे रहा है जिसे कल बोला था मैनें, 
और वह शब्द भी जिसे बोला ही नहीं था, 
कष्ट दे रही है पूरी दुनिया. 

रिक्त स्थानों जैसे होते हैं कुछ दिन 
इस तरह से बने कि तकलीफ देती रहे हर चीज. 

केवल ईश्वर ने मुझे दुख नहीं पहुंचाया आज. 
कहीं इसलिए तो नहीं कि आज उसका अस्तित्व ही नहीं? 
                    :: :: :: 
Manoj Patel Blog, Padhte-Padhte.blogspot.com 

3 comments:

  1. वाह...कमाल की रचना..

    शुक्रिया.

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  2. तमाम तकलीफ़ों के बावजूद अभिव्यक्ति का यूँ होना ही 'उसके' अस्तित्व का प्रमाण है...
    प्रश्न चिन्ह पर समाप्त होती कविता ने स्वयं ही उत्तर ढूंढ़ लिया है... ऐसा आभास होता है!
    सुन्दर प्रस्तुति... हमेशा की तरह!

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  3. वाह... जीवंत रचना...

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