Thursday, February 23, 2012

एंतोनियो पोर्चिया : तुम कौन हो

एंतोनियो पोर्चिया की कविताएँ...  

 
आवाजें : एंतोनियो पोर्चिया 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

किसी को मैनें ऐसा नहीं पाया जिसके जैसा मैं होना चाहूँ. और मैं उसी तरह से रह गया : 
किसी की तरह नहीं. 
:: :: :: 

उन्होंने तुम्हें धोखा देना बंद कर दिया है, प्यार करना नहीं. 
और तुम्हें लगता है कि उन्होंने तुम्हें प्यार करना बंद कर दिया है. 
:: :: :: 

प्रकाश की एक किरण ने तुम्हारा नाम मिटा दिया. 
अब मुझे यह नहीं पता कि तुम कौन हो. 
:: :: :: 

जब तुम्हारा कष्ट मेरे कष्ट से थोड़ा ज्यादा होता है, 
तो मुझे लगता है कि मैं थोड़ा क्रूर हूँ. 
:: :: :: 
अंतोनियो पोर्चिया 

6 comments:

  1. कुछ एक पंक्तियों में कितना कुछ कह देते हैं कवि!

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  2. बहुत खूब.....................छोटी, मगर गहरे अर्थ से भरी हुई क्षणिकाएँ ! सुन्दर अनुवाद !

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  3. बहुत बढ़िया...
    सभी एक से बढ़ कर एक...
    कमाल की अभिव्यक्ति...
    शुक्रिया..

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  4. दो-दो पंक्य्तियों में जो गहरे अर्थ समाये हैं इन कविताओं में, वे कवि के जीवन-अनुभवों की सघनता का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं.

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  5. एंतोनियो पोर्चिया की कविताएं पढ़कर लगा कि कितनी स्पषटता है उनके चिंतन में। अपनें अंदर मौजूद गंभीरता और सहजता से हैरान करती हुई रचनाएं ।

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