एंतोनियो पोर्चिया की 'आवाजें' श्रृंखला से...
आवाजें : एंतोनियो पोर्चिया
(अनुवाद : मनोज पटेल)
जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था,
उससे मेरी इंतज़ार की आदत आई.
:: :: ::
स्वर्ग जरूर जाऊंगा, मगर अकेले नहीं
अपने नरक के साथ.
:: :: ::
कुछ सपने होते हैं,
जिन्हें आराम करने की जरूरत होती है.
:: :: ::
खालीपन की अनुभूति
हम उसे भरकर करते हैं.
:: :: ::
हर खिलौने को टूटने का हक है.
:: :: ::
दिल को जख्म देना उसे रचना है.
:: :: ::
मेरा अभाव सम्पूर्ण नहीं है,
उसमें मेरी कमी है.
:: :: ::
परिचय और पिछली पोस्ट यहाँ देखें : मेरी खामोशी में सिर्फ मेरी आवाज़ की कमी है एंटोनियो पोर्चिया
लाजवाब...
ReplyDeleteलेखन का जादू..
ReplyDeleteउम्दा
"कुछ सपने होते हैं
ReplyDeleteजिन्हें आराम की ज़रूरत होती है." सूक्तिनुमा कविताएं भी आनंदित तो करती ही हैं.
बहुत ही बढ़िया! गज़ब!!
ReplyDeleteअद्भुत है...
ReplyDeleteसादर...
दिल को जख्म देना उसे रचना है..बेहतरीन....!!
ReplyDeleteदिल को जख्म देना उसे रचना है..बेहतरीन....!!
ReplyDeleteDil ko zakhm dena, usay rachna hai
ReplyDeleteHar khilone ko tootne ka haq hai
Waah.. - Reena Satin