ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की कुछ और कविताएँ...
अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
एक लाल सेब
हवा में
सौ चक्कर खाकर
गिरता है
एक खिलाड़ी बच्चे के हाथों में.
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बसंत की हवा में
फड़फड़ाते हैं एक स्कूल की कापी के पन्ने --
सो रहा है एक बच्चा
अपने नन्हे हाथों पर...
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बच्ची और उसकी दादी के बीच के खेल में
हारती रहती है
दादी.
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स्कूली बच्चा
चलता है पुरानी पटरियों पर
अनाड़ी ढंग से नक़ल उतारते हुए
ट्रेन की आवाज़ की.
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ऐसी विम्ब उभरते हैं, जो बिलकुल जाने पहचाने है... लेकिन कवि की नज़र से उन्ही दृश्यों को पुनः देख कर, ये तो है, कि इनके विस्मृत होने की आशंका के लिए अब कोई स्थान नहीं रहा!
ReplyDeletehar kavita ke alag alag rang....
ReplyDeletepoem no 3.. grandmother always defeats with her grandson./
Short and sweet.. - Reena Satin
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