बहरीन के कवि कासिम हद्दाद की कविताएँ...
कासिम हद्दाद की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
एक टापू नहीं हैं हम,
सिवाय उन लोगों के लिए जो देखते हैं हमें समुन्दर से.
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आधे प्याले में शराब,
मगर खाली नहीं था बाक़ी का आधा;
वह गुम हुआ मदहोशी में...
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खिड़की पर खिंचा पर्दा
जैसे एक खिदमतगार
ज्यादा ताकतवर अपने सुल्तान से.
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यह पूरी रात
काफी नहीं है मेरे ख़्वाबों के लिए.
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कविताओं का क्षितिज कहाँ से शुरू होता है कहाँ समाप्त... कौन जाने!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अनुवाद!
aabhaar
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