Saturday, February 25, 2012

एंतोनियो पोर्चिया : सिर्फ फासले हैं मेरे करीब

एंतोनियो पोर्चिया की कविताओं के क्रम में...  

 
आवाजें : एंतोनियो पोर्चिया 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

सब कुछ, कुछ नहीं है, मगर बाद में. 
सब कुछ सह लेने के बाद. 
:: :: :: 

क्योंकि वे उसका नाम जानते हैं जो मैं ढूंढ़ रहा हूँ, 
उन्हें लगता है वे जानते हैं कि मैं क्या ढूंढ़ रहा हूँ. 
:: :: :: 

प्रशंसा करने की बजाय प्यार करना मेरे लिए हमेशा आसान रहा. 
:: :: :: 

तुम्हें आंसुओं की नदी इसलिए नहीं दिखती क्योंकि उसमें तुम्हारे एक आंसू की कमी है. 
:: :: :: 

सिर्फ फासले हैं मेरे करीब. 
:: :: :: 
अंतोनियो पोर्चिया एन्टोनियो पोर्चिया 

4 comments:

  1. तुम्हें आंसुओं की नदी इसलिए नहीं दिखती क्योंकि उसमें तुम्हारे एक आंसू की कमी है.

    शुक्रिया मनोज जी!

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  2. प्रशंसनीय प्रस्तुति !

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  3. वाह चमत्कारिक पंक्तियाँ हैं ...कमाल की प्रस्तुति !आभार मनोज जी !

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