Friday, February 17, 2012

फुआद रिफ़क : अभिलाषा

फुआद रिफ़क की एक कविता...  

 
अभिलाषा : फुआद रिफ़क 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

भूखे के लिए 
रोटी और चिकनाई बन जाए 
यह कविता. 
प्यासे के लिए 
ठंडी जलधार. 
बेघर के लिए 
घर बन जाए यह 
और लालटेन. 
 
फूल और ओस 
और फसल बन जाए यह कविता 
ज़िंदगी के लिए. 
               :: :: :: 
Manoj Patel 

6 comments:

  1. फूल और ओस
    और फ़सल बन जाए यह कविता
    यह कविता.
    कवि की शुभेच्छा तो यही हो सकती है.

    ReplyDelete
  2. ...कविताएँ हमेशा से ये कम करती रहीं हैं...आगे भी करती रहेंगी !

    ReplyDelete
  3. देने के लिए उसके पास सिर्फ कविता है लेकिन वह भी लोगों की रोटी और घर से बढ़ कर नहीं ! आम-जन के लिए समर्पित भाव हैं कवी के और यह कविता उसके उदगार ! बहुत बहुत आभार मनोज जी इस कविता के लिए जो अपनी भी है !

    ReplyDelete
  4. कितनी सुन्दर प्रार्थना है यह !!!

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...