फुआद रिफ़क की एक कविता...
अभिलाषा : फुआद रिफ़क
(अनुवाद : मनोज पटेल)
भूखे के लिए
रोटी और चिकनाई बन जाए
यह कविता.
प्यासे के लिए
ठंडी जलधार.
बेघर के लिए
घर बन जाए यह
और लालटेन.
फूल और ओस
और फसल बन जाए यह कविता
ज़िंदगी के लिए.
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Manoj Patel
फूल और ओस
ReplyDeleteऔर फ़सल बन जाए यह कविता
यह कविता.
कवि की शुभेच्छा तो यही हो सकती है.
ऐसा ही हो...!
ReplyDeleteBeautiful and profound wish!!!
ReplyDelete...कविताएँ हमेशा से ये कम करती रहीं हैं...आगे भी करती रहेंगी !
ReplyDeleteदेने के लिए उसके पास सिर्फ कविता है लेकिन वह भी लोगों की रोटी और घर से बढ़ कर नहीं ! आम-जन के लिए समर्पित भाव हैं कवी के और यह कविता उसके उदगार ! बहुत बहुत आभार मनोज जी इस कविता के लिए जो अपनी भी है !
ReplyDeleteकितनी सुन्दर प्रार्थना है यह !!!
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