ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की कुछ और कविताएँ...
अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
गर्मियों की दोपहर में
अपना ऊनी हैट पहने
पसीने से तर-बतर है काक-भगौड़ा.
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बिना डरे
ढेला मारते हैं गाँव के बच्चे
काक-भगौड़े के टीन के सर पर.
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सींचा जा रहा है
एक काक-भगौड़ा
खेत के बीचोबीच.
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एक खाली खेत में
एक तनहा काक-भगौड़ा
सर्दियों की शुरूआत में.
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काक-भगौड़े की तार-तार पोशाक को
हवा उकसाती है
नाचने के लिए --
पहला दिन है नए साल का.
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Manoj Patel Blog
प्रतीकों के माध्यम से कितना कुछ कहती कवितायेँ!
ReplyDeleteआभार!