Saturday, February 11, 2012

लैंग्स्टन ह्यूज : मरीजों का कमरा

लैंग्स्टन ह्यूज की एक कविता... 

 

मरीजों का कमरा : लैंग्स्टन ह्यूज 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

कितनी शान्ति है 
मरीजों के इस कमरे में 
जहां बिस्तर पर 
सोई है एक औरत 
ज़िंदगी और मौत नाम के दो प्रेमियों के बीच, 
और तीनों ने ओढ़ रखी है दर्द की एक चादर. 
               :: :: :: 
Manoj Patel, padhte-padhte. blogspot. com 

4 comments:

  1. मरीज का दर्द --- ओह ! जिंदगी और मौत दो प्रेमियों के बीच... खूब खींचा है खाका मरीज के बिस्तर की ... कवि ने इस गुत्थमगुत्था को खूब समझा ..आभार

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  2. Hats off to you..... fantastic. Nomaan shauque

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  3. गजब है ,मनोज जी ! बहुत अच्छी कविता और उसका अनुवाद !बधाई !

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  4. तीनों बिलकुल भिन्न इकाई हैं लेकिन दर्द की एक चादर ने तीनों को कैसे जोड़ दिया है...
    वाह! क्या अनोखी कल्पना है कवि की!

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