Sunday, February 26, 2012

राबर्तो हुआरोज़ : मुक्त उड़ान

राबर्तो हुआरोज़ की एक और कविता...  

 
राबर्तो हुआरोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मेरे पास एक काली चिड़िया है 
इसलिए मैं उड़ सकता हूँ रात में. 
और दिन में उड़ने के लिए 
एक खाली चिड़िया है मेरे पास. 

मगर मैनें पाया 
कि वे दोनों राजी हैं 
एक ही घोंसले में रहने के लिए, 
एक ही एकांत में. 

यही कारण है कि कभी-कभी 
मैं हटा देता हूँ उनका घोंसला, 
यह देखने के लिए कि 
घर न लौट पाने पर क्या करती हैं वे. 

और इस तरह मैं समझने लगा हूँ 
एक अद्भुत कल्पना को: 
पूरी तरह मुक्त उड़ान 
बिल्कुल खुले में. 
                             (लारा के लिए, अभी भी)
               :: :: ::  
राबर्तो हुअर्रोज 

5 comments:

  1. मुक्त उड़ान-
    कितना सुन्दर है यह संयोग... इन दो शब्दों की संयोजित ध्वनि कितनी अद्भुत है!
    आभार!

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  2. घरों (घोंसलों)की कैद से पंछियों को आजाद करने की कल्पना बहुत अच्छी है।

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  3. मुक्त उड़ान ! बीज संकल्प है यह !

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  4. aur din me udne ke liye hai khali chidiya...ye pankti main chaah kar bhi nahi smjh paee,jise bhi smjh aaee ho likhiye plz

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